जब मैं तुमसे मिलूँगा

 


जब मैं तुमसे मिलूँगा मैं

तब तुम्हें अपने बाँहों में भर लूँगा........

तुम्हारी आँखों में थमकर निहारूँगा दो पल

तुम्हारे माथे पर अपने होंट से बनाऊँगा......

मुहब्बत की इक हसीन सी बिंदिया।

तुम्हें अपने सीने से लगा कर दिल की धड़कन सुनाऊँगा ••

अपने दिल के काग़ज़ पर लिखी हुई

उस मुहब्बत की पहली सी चिट्ठी को जो •••••

मैंने तुम्हारे लिए लिखी थी।

तुमसे मिलने के बाद साल-दर-साल....

गुज़रती हुई तड़प की इंतिहा तुम्हारे प्यार की

हथेलियों के बिलकुल ठीक बीच में रख दूँगा....

तुम्हारे दिल पर अपना नाम गूंथकर तुम्हें बताऊँगा

मेरे दिल में तुम्हारा लिये प्यार कितना हे••••

तुम्हारी ज़ुल्फ़ और झुमके की सरगोशियों के

बीच मैं पुकारूँगा हौले से तुम्हारा नाम ओर तब

तुम्हारे गले से लगकर तुममें समा जाऊँगा मैं

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