न अश्क़ ख्वावों में आ के पलते।
झुका जहाँ क़दमों में लेता,
जो तुम कदम मिला के चलते ॥
तुझ बिन शामें हैं घोर काली,दीप जले बिन मने दिवाली।मेरे तन मन में चुभ जाती,शीतल शुद्ध वयार निराली ॥
मंजिल दोनों को पा जाती
प्यार का दीप जला के चलते
न रात .......
न दिन........
कहीं नजर है कहीं नज़ारा.तुम बिन कुछ भी लगे न प्यारा।तुमको ही अर्पण कर बैठा,कतरा कतरा जीवन सारा ॥
एक पल में जी लेता जीवन
जो हँस के खिलखिला के मिलते
न रात रोती....
न दिन ये जलते....
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