सजा फिर ख्वाब है कोई
दिखा फिर आज है कोई,
सूनी थी मेरी दुनियां
लगा फिर आज है कोई।
महका है कहीं सावनकहीं पीपल हुआ पावन,कोई मिलने को आया है।बजी पायल है मनभावन ।घूरता है चंदा जिसकोधरा का ताज है कोई
सजा फिर....
दिखा फिर...
सर्द की धूप है कोईप्यार की कूप है कोई,रुक्मिणी मैं कहूँ कैसेराधिका रूप है कोई ।
मेरी हर बात है कोई
पूनम की रात है कोई,
बुझा दे प्यास चातक की
वही बरसात है कोई।
कहूँ मैं और क्या उसकोमसीहा हूँ मैं शब्दों कामेरा हर गीत मेरी लयमेरे अल्फ़ाज़ है कोई
सजा फिर....
दिखा फिर....
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