माही मेरे माही तू आजा मुझमें,
खुद को भुला के समाँ जा मुझ में
दिन है ये छोटा सा छोटी उमर
मुझको ही ढूंढेंगी तेरी ये नज़र,
आने वाले कल में न पाओगे मुझे
ज़िन्दगी न जानें ले जाएगी किधर।
दुनियाँ जानें मुझे तू क्यों
है बेखबर है बेखबर है बेखबर.....
माही मेरे माही....
खुद को भुला.....
तेरा नाम लेके मैं गीत लिख दूँहारे जो सिकंदर तो जीत लिख दूँ,पा जाऊँ जो रव से मैं दिल की किताबतुझे सातो जन्मों का मीत लिख दूँ।तूनें छोड़ा जहाँ रोती है वो डगरहै वो डगर है वो डगर..
माही मेरे माही. ..
खुद को भुला......
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