रेत पे घर हम रोज बनाते


 रेत पे घर हम रोज बनाते 

बन के लहर जो तुम आ जाते, 

प्यार तुम्हारा हम पा जाते 

बन के लहर जो तुम आ जाते ।


.हर दर द्वारे माँगा तुमको 

खुद से ज्यादा चाहा तुमको, 

आंसू पाकर मैं खुश होता 

रव जो खुशियां तुझमें पिरोता।

सजदे पुरे तुम कर जाते 

बनके लहर.......

देख तबाही मैं खुश होता 

एक पल तेरी गोद जो सोता, 

रहती न ख्वाइश फिर जीने की 

पीर भी मिट जाती सीने की।

गहरी नींद सुला के जाते

बनके लहर.......

रेत पे हम.........

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