आज न जाने क्यों मेरी साँसें
हर एक पल में अटक रहीं हैं,
भूल गयी खुशियाँ अब रस्ता
वो दर दर पे भटक रहीं हैं।
हर एक पल में हर एक कल मेंतुम्हें तलाशा ताजमहल में,न जाने क्यों पा सके न तुमकोबस ये जहन में खटक रही है।
आज........
भुला सकूँ ना तुम्हारा चेहरा
वही था सूरज वही सवेरा,
जर्मी थी पलकों पे ऑस मेरी
वो बनके आँसू टपक रही है।
आज ना.......
जीने का अहसास नहीं है।सायद तू अब पास नहीं है,यूँ तो है ये संग ज़मानापर महफिल अब रास नहीं है।
पीर अपार उठी सीने में
हृदय विमाई सी फट रही है।
आज........
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