न जीते हम हैं न हारे तुम


 न जीते हम हैं न हारे तुम हो 

नजर हैं हम तो नज़ारे तुम हो, 

अगर कहीं कुछ है प्यारा जग में 

कसम खुदा की तो प्यारे तुम हो ।


तुम राधा की पीर पुरानी

तुम मीरा सी हुयी दीवानी,

तुम्हीं बांसुरी, मोर पंख तुम

तुम्हीं पैर की पदम निशानी ।

जिनको समझ नहीं पाया जग 

उलझन भरे इशारे तुम हो

न जीते.......

न हारे ........

सावन की हरियाली तुम हो

पात पात की डाली तुम हो.. 

तुम्हीं नजर में तुम्हीं जिगर में

सचमुच बहुत निराली तुम हो।

ये जग तुम्हारा तुम इस जंग के

और कहीं फिर हमारे तुम हो

न जीते.....

न हारे.......

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