कैसे जिओगे हमसे दूर जा के,
हँस न सकोगे तुम हमको रुला के
कैसे जिओगे....
तुम जो आते गम मुस्काते
भूल के शिकवे दिल मिल जाते,
मिलती आँखों से फिर आँखें
फूल प्यार के फिर खिल जाते।
मन के मोर नाचने लगते
तुम कोयल बन गाते
कैसे जिओगे..
हंस न सकोगे..
तुम्हें पसंद हैं आंसू मेरे
इसीलिए हर पल रोता हूँ.
आंसू से मैं अपने निश दिन
चाहत का दर्पण धोता हूँ।
दुनियां दिख जाती दर्पण में
जो दिख जाते
कैसे जिओगे
हंस न सकोगे
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