तुम कहो आज मैं वो कह दूँ


तुम कहो आज मैं वो कह दूँ

अपनी कोई हार कहूँ 

या औरो की जीत कहूँ, 

कहूँ लड़ाई मानव की 

या इस जग की रीत कहूँ।

तुम कहो आज .........

उनकी चाहत का पल कह दूँ 

या अपना जीवन कल कह दूँ, 

कहूँ उन्हें मैं जग सारा

   या आँखों से ओझल कह दूँ।

तुम कहो आ .......

दीपक जलता मैं कह दूँ

का मानव जलता मैं कह दूँ. 

कहूँ सुबह उम्मीद भरी 

या ढलता सूरज मैं कह दूँ।

तुम कहो आज.......

अपनी कोई चाहत कह दूँ

या दर्द भरी रहत कह दूँ. 

कहूँ मैं अपनी चीखों को

या उनकी आहट कह दूँ।

तुम कहो आज.....

अपने दिल की बस्ती कह दूँ

या मिटी हुई हस्ती कह दूँ.

कहूँ किनारा उनको मै

या डूबी कश्ती कह दूँ।

तुम कहो आज.....


 

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