मैं पुकारूँ तुझे तू सुने न मुझे,
क्यों है खफा क्या है वजह
इतना बता दे कसम है तुझे।
मैं पुकारूँ...
साँसों पे पहरा है गहरा अँधेरा है।
हांथों में मेरे न अब हाथ तेरा है,
तुम फिर से आ जाओ रातों पे छा जाओ
बन जाओ मेरे सवेरे ।
मैं पुकारूँ..
हिम्मत है मेरी तू जन्नत है मेरी तू
मक्का मदीना की मन्नत है मेरी तू.
तू मेरी साँसों में तू मेरी बातों में
फिर क्यों है मुझसे परे ।
मैं पुकारूँ...
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