चाहत का बाज़ार सजा सब लोग देखने आए
कही खुशी बेमोल बिकी कही पे गम न पाए,
हमने रोक रखा था खुद को शायद तुम आओगे
तिल तिल खुशियां बिकीं हमारी तुम लेनें न आए।
गोताखोर मशहूर बड़े हम ढूंढें रतन हैं सारे
प्यार तुम्हारा ढूंढ सके ना हारे जतन हमारे,
हमने तुम्हें संभाले रखा लहरों की चोट खाकर
नदियां बन तुम चली जहाँ भी हम ही बनें किनारे।
चाहत के सागर दिल में हैं तुमने कहाँ छिपाये
तिल तिल.....
खुशियों से कर प्यार तुम्हारी हम अपराधी बन बैठे
उनको खबर हुई न अब तक जिनके आदी बन बैठे,
हर कोई खुश होता नभ में खुली उड़ाने पाकर
कटा के एक एक पर सारे हम बुनियादी बन बैठे।
इस महफ़िल से उस महफिल तक
चीख चीख चिल्ला चिल्लाकर दर्द तुम्हारे गाए
तिल तिल....
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