कुछ गीत लिखे है पन्नों पर
कुछ गीत लिखे सूने मन में ।
हर दिन खुशहाली बन जाता,
जो तुम आ जाते जीवन में ॥
झरनों से मैं सुर ले आता,और सुमन से खुशबू लाता।करती जो श्रंगार कहीं तुम.इन्दर्धनुष के रंग में लाता ॥
कैद तुम्हें कर लेता उस पल
इन नैनो के दर्पण में
हर दिन...........
पत्थर का मैं बन जाता.तुम मुझको मौला कहती जो।मैं सागर भी बन सकता था.तुम बनकर सरिता बहती जो ॥
सौंप तुम्हें दिल की वस्ती
में रहता यादों के वन में
हर दिन.......
माना सरोज तुम झीलों के,हो पत्थर पावन मीलों के।अब साथ तुम्हें चलना होगा,तुम ही सूरज उम्मीदों के
सारा इतिहास बदल जाता
जो तुम आ जाते उपवन में
हर दिन........
0 Comments