एक गाँव में एक बहुत ही विलक्षण प्रतिभाशाली बालक रहता था। वह अपनी बूढ़ी मां के साथ बहुत दीनता से रहता था। एक बार उसकी माँ बहुत बीमार हो गयी। उसके पास इलाज कराने के लिए पैसे नहीं थे और जीवन में माँ के अलावा कोई दूसरा सहारा भी नहीं था। इसलिए वह काफी चिंतित रहता था। एक दिन वह सोचते-सोचते घने जंगल में चला गया और एक तालाब के किनारे बैठ गया । उसी समय उसे एक ऋषि मिले। उसके उदास चेहरे को देखकर बोले- पुत्र, तुम बहुत चिंतित लगते हो ! तुम मुझे अपनी चिन्ता का कारण बताओ तो मैं तुम्हारी सहायता करूँगा । बालक ने सारी बात बतला दी। ऋषि ने थोड़ा रुक कर कहा 'मेरे बगीचे में बहुत सारे फूल हैं। उन फूलों में से एक ऐसा फूल है, जिसे मैं रात में राजकुमारी तथा पुनः सुबह में फूल बना देता हूँ। तुम अगर उसे पहचान कर बता दो तो तुम्हारी माँ सदा के लिए स्वस्थ हो जाएगी। लेकिन यह अवसर तुम्हें सिर्फ एक ही बार मिलेगा। बालक ने ऋषि से सुबह तक का समय माँगा । रात भर काफी सोच-विचारकर उसने समझ लिया कि जिस फूल को ऋषि रात में राजकुमारी बनाते हैं उस पर तो ओस की बूँदें नहीं पड़ी होंगी और बचे हुए फूलों पर ओस की बूंदें पड़ी होंगी ।
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